Wednesday, 28 March 2012

हिमालय की पर्यावरण संबंधी प्रमुख समस्यारएं


      भूकंप, भूस्‍खलन, मृदाक्षरण और बादल फटने से आने वाली बाढ़ जैसी प्राकृतिक घटनाओं से उत्‍पन्‍न पर्यावरण संबंधी समस्‍याओं के अलावा भू-गतिविज्ञान के तौर पर सक्रिय और पारिस्थितिकीय तौर पर संवेदनशील हिमालयी क्षेत्र में मानव-निर्मित कई अन्‍य समस्‍याएं भी है। उनमें शामिल हैं- त्‍वरित मृदाक्षरण, वर्षा जल का प्रवाह, भूस्‍खलन की बढ़ती घटनाएं, जल निकायों में गाद और प्रदूषण झरनों का सूखना, वन क्षेत्र में कमी होना, चारा और वनों की सघनता में कमी होना, चारा और ईंधन की लकड़ी का अभाव, अधि‍क चरने से नुकसान, जंगल में आग लगना, वन्‍यप्राणि‍यों के रहने के स्‍थान में बदलाव होना, फसल की पैदावार कम होना, बंजर भूमि‍बढ़ना और बाह्य प्रजाति‍यों कि‍हमला, जैव-वि‍वि‍धता में कमी, खेती का स्‍थान बदलना आदि‍। इनमें से अधि‍कांश समस्‍याएं एक-दूसरे से जुड़ी है और एक समस्‍या दूसरी समस्‍या को बढ़ाती है । कृषि‍योग्‍य भूमि‍के व्‍यवहार्य आकार, पशुधन के लि‍ए पर्याप्‍त वन, सिंचाई के लि‍ए जल और पेयजल, कठि‍न चराई पर सीमांत और वर्षा-आधारि‍त भूमि‍, मि‍ट्टी की नि‍म्‍न उर्वरता और फसल का कम उत्‍पादन, जलवायु में बदलाव जैसे आधारभूत संसाधनों की कमी होने और कृषि‍उत्‍पादों के प्रसंस्‍करण और वि‍क्रय के लि‍ए आधारभूत सुवि‍धाओं और  बाजार का अभाव होने से ग्रामीण लोगों की जीवि‍का कायम रखना कठि‍न हो जाता है । इन घटकों के साथ-साथ बेहतर और स्‍वास्‍थ्‍य सुवि‍धा, रोजगार के अवसरों आदि‍जैसी मानवीय जरूरतों और आकांक्षाओं के कारण लोग प्रवास करने के लि‍ए बाध्‍य होते हैं और देश के शहरी क्षेत्रों में जीवि‍कोयार्जन के अन्‍य प्रारूपों की तलाश करते हैं । प्राकृति‍क संसाधनों के अवनयन के उपरोक्‍त कुचक्रों, गरीबी और प्रवास के कारण हि‍मालयीन पारि‍स्‍थि‍ति‍की पर वि‍परीत प्रभाव पड़ता है। एक समय की साझा संपत्‍ति‍संसाधनों प्रबंधन की समृद्ध वि‍रासत को आघात पहुंचा है और आजीवि‍का कायम रखने के बारे में हमारा अमूल्‍य स्‍वदेशी ज्ञान डांवाडोल हो रहा है। क्षेत्रीय नगरों का वि‍स्‍तार और नि‍र्माण के लि‍ए प्रमुख भूमि‍का बदलाव होना एक नई प्रमुख चि‍न्‍ता में शामि‍ल है, जि‍सके कारण भूमि‍, जल और अन्‍य नागरि‍क सुवि‍धाओं के लि‍ए संधर्ष बढ़ा है। कुछ क्षेत्रों में उद्योगों की स्‍थापना और मौसम आधारि‍त पर्यटन के कारण वायु एवं जल के साथ ही ध्‍वनि‍प्रदूषण बढ़ा है। इसलि‍ए उच्‍च पारि‍स्‍थि‍ति‍कीय और सामाजि‍क ढांचे वाले इस क्षेत्र में  कार्य करना चुनौति‍पूर्ण है तथा पर्यारवण संबंधी सरोकारों की वाले वि‍भि‍न्‍न वैज्ञानि‍क वि‍षयों के एक साथ जोड़ने के लि‍ए उच्‍च अंतर विषय के कौशल और दृष्‍टि‍कोण की काफी जरूरत है। इसलि‍ए देश के अन्‍य क्षेत्रों की तुलना में यहां वि‍कास के अधि‍क कार्य करना समय की पुकार है। सुरक्षा करते हुए नि‍वासि‍यों के सामाजि‍क आर्थि‍क वि‍कास से संबंधि‍त समस्‍याओं को हल करने 

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